बुधवार, जुलाई 18, 2012

ईश्वर के यहाँ देर हो सकती है, अन्धेर नहीं..........


ईश्वर के यहाँ देर हो सकती है, अन्धेर नहीं। सरकार और समाज 
से पाप को छिपा लेने पर भी आत्मा और परमात्मा से उसे छिपाया 
नहीं जा सकता। इस जन्म या अगले जन्म में हर बुरे-भले कर्म का 
प्रतिफल निश्चित रूप से भोगना पड़ता है। आज का लिया कर्ज कल
चुकाना पड़ेगा। इससे यह नहीं सोचा जा सकता कि कर्ज के नाम पर
लिया हुआ पैसा मुफ्त में मिल गया।  ईश्वरीय  कठोर व्यवस्था उचित
न्याय और उचित कर्मफल के आधार पर ही बनी हुई है। सो तुरन्त न 
सही कुछ देर बाद अपने कर्मों का फल भोगने के लिए हर किसी को
तैयार रहना चाहिए। 

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