बल न बलि का चलने देता ,छल न छली का चलने देता
कोई इसकी चाल न जाने ,हार गए सब बड़े सयाने
पार न पाते वेद पुराण -२, सब दिन होत न एक सामान
इनकी एक भूल से इनको ,पड़ा काटना गिन -गिन इनको
ऐसे ही बारह बरस बिताये ,पर्वत जैसे दुःख उठाये
रखा धर्म ध्वजा का मान -२,साधो समय बड़ा बलवान
शिर पर लटकी है तलवार ,पैरो तले बिछी अंगार
किन्तु धैर्य का साथ न छोड़ा ,दुखों से मन तनिक न मोड़ा
मन में बसा रखा भगवान -२, सब दिन होत न एक सामान
पाँचों पाण्डव वन वन भटके -२,संग में द्रौपदी भी न
साधो समय बड़ा बलवान ,सब दिन होत न एक सामान
पार न पाते वेद पुराण -२, सब दिन होत न एक सामान
इनकी एक भूल से इनको ,पड़ा काटना गिन -गिन इनको
ऐसे ही बारह बरस बिताये ,पर्वत जैसे दुःख उठाये
रखा धर्म ध्वजा का मान -२,साधो समय बड़ा बलवान
शिर पर लटकी है तलवार ,पैरो तले बिछी अंगार
किन्तु धैर्य का साथ न छोड़ा ,दुखों से मन तनिक न मोड़ा
मन में बसा रखा भगवान -२, सब दिन होत न एक सामान
पाँचों पाण्डव वन वन भटके -२,संग में द्रौपदी भी न
साधो समय बड़ा बलवान ,सब दिन होत न एक सामान
ने कहा…
जवाब देंहटाएं1 टिप्पणियाँ:
गुड्डोदादी ने कहा…
सब दिन होत न एक सामान
हम ही ना रहेंगे ना रहेगा
सर पे आसमान और भगवान
बस हमारी इतनी ही शान
जीते जीते यही देते है पैगाम
शुभ कामनाएँ