सोमवार, सितंबर 19, 2011

























ईश्वर का ध्यान करना.....
निःस्वार्थ भाव से आराधना करना.....
यथोचित मंत्रोच्चार करना.....
इन सभी प्रवृतियों से इंसान में मनुष्यता का जन्म होता है.....
यदि यह प्रवृतियाँ निरंतर चलती रहें.....
तो इंसान की आत्मा पवित्रता प्राप्त करती है.

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