रविवार, नवंबर 20, 2011

नूर का चरण स्पर्श........

























चाँद भी हैरान है, देख धरती पे ऐसा नूर............
सूरज का घमंड भी, हो गया चूर-चूर................  
तारे जिससे मिलने को हो गए मजबूर..............  
लज्जित होकर हर पुष्प, झुक,गया जब पाया ऐसा नूर..............  
फटा कलेजा अंबर का, जब पाया खुद से दूर..................  
धरती पावन हो गई पल में, चूमे चरण भरपूर.................  
चलती पवन भी झूम गई, नज़र में आया जब वो हूर.................  
गंगा ने भी चरण पखारे, न रह पायी दूर...................  
ढूँढ सका न कोई, माता रानी  तुम सा नूर.....................  
नमन तुझे ऐ माता रानी, तू जगत की नूर..............  
नूर के चरण स्पर्श मात्र से दर्द हो जाता है दूर..........
जय माता दी जपते रहो,सुबह शाम भरपूर.....
 
जय माता दी!!!जय माता दी!!!जय माता दी!!!

1 टिप्पणी:

  1. फटा कलेजा अंबर का, जब पाया खुद से दूर..................
    धरती पावन हो गई पल में, चूमे चरण भरपूर.................

    बहुत सुंदर
    धन्यवाद

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