बुधवार, जून 04, 2014

किसी उच्च डिग्री से ज्यादा, ईमानदार सोच होना जरुरी है.....



























स्मृति ईरानी के मानव संसाधन विकास मंत्री बनते ही विपक्षियों द्वारा उनकी शैक्षिक योग्यता को मुद्दा बनाते हुए उन्हें इस मंत्रालय के योग्य न ठहराए जाने को लेकर तरह - तरह की टिप्पिणियां होने लगी| कहा जा रहा है कि जो स्वयं ग्रेजुएट न हो, वह शिक्षा मंत्रालय की कमान भला कैसे सम्भाल पाएंगी| सवाल है कि एडिसन जैसे कालजयी अविष्कारक कॉलेज नहीं गए थे लेकिन उनके द्वारा अविष्कृत बल्ब के बिना हम एक पग आगे नहीं बढ़ सकते| रविन्द्र नाथ टैगोर ने स्वयं किसी विश्व विद्यालय में शिक्षा नहीं ली लेकिन उन्होंने शांतिनिकेतन जैसे अद्भुत शिक्षण संस्थान की नींव रखी जो आज विश्व भारती विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है| ऐसे ही संत कबीर,अकबर महान, हैदर अली, विरसा मुंडा जैसी विभूतियां निरक्षर थी फिर भी अपने ज्ञान, कुशल नीतियों और नेतृत्व के कारण इतिहास के पन्नों में महान बन गयी| ज्ञानी जैल सिंह वो अनपढ़ थे मगर सिख धरम के "ज्ञानी" थे, वो गृह मंत्री थे और राष्ट्रपति बने|  देश/दुनिया के मशहूर लोग जो नहीं हैं ग्रैजुएट सचिन तेंडुलकर (भारत रत्न), लता मंगेशकर (भारत रत्न), महेंद्र सिंह धोनी (टीम इंडिया के कप्तान), रवींद्र नाथ टैगोर (मशहूर साहित्यकार), बिल गेट्स (माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक) कहने का आशय सिर्फ इतना है कि स्मृति ईरानी टीचर नहीं, मिनिस्टर बनी है इसके लिए किसी उच्च डिग्री से ज्यादा ईमानदार सोच होना जरुरी है| डिग्री ही यदि मंत्री पद पाने का आधार होती तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तो इस मामले में बहुत ही योग्य थे| परन्तु सोच की शिथिलता और नीतिगत इच्छा शक्ति के आभाव में उनके कार्यकाल में देश आर्थिक बदहाली की भेट चढ़ गया| इसके विपरीत प्रधानमंत्री  स्वर्गीय इंदिरा गांधी ग्रेजुएट नहीं थी लेकिन उन्होंने देश की कमान कितनी मजबूती से संभाले रखी, ये देश ही नहीं, दुनिया जानती है| बहरहाल, स्मृति की आलोचना करने वाले भूल जाते है कि लाखों योग्य छात्र अब भी कॉलेज नहीं जा पाते है क्योंकि परिस्थिति इनको इनका अवसर नहीं देती| निरक्षरता आज भी हमारे देश का बड़ा कलंक है| अपने दायित्व के हिसाब से स्मृति को इसी अव्यवस्था को दुरुस्त करना है| उन्हें व्यवस्था करनी है कि सबको शिक्षा मिले और सामान गुणत्तापूर्ण शिक्षा मिले| इसके लिए उनका उच्च डिग्रीधारी होने से पहले ईमानदार और निष्ठावान होना जरुरी है| ये मैकाले के मानस पुत्र को क्या पता डिग्री और ज्ञान में कितना बड़ा अंतर होता है । 8वी फेल न्यूटन और 9वी फेल आईस्टीन को पढ़कर डिग्री लेने वाले आज सवाल पूछ रहे है| आज जो डिग्री मिल रही है जिस पर शहद लगाकर चाटोगे तो विटामिन c भी नहीं मिलेगा ।आज केम्बिरिज और आक्सफोर्ड के डिग्री धारी लाखो लोग जमुनालाल बजाज और धीरू भाई अम्बानी जैसे 5वी और 8वी पास लोगे के सामने बड़े फक्र के साथ टाई बाँध कर यस  सर करते रहते है ।ज्ञान और डिग्री के फर्क को समझो भाई । जब भारत नालंदा और चाणक्य जी के अर्थशास्त्र से चलता था तो स्वर्णिम भारत था| आज भारत केम्ब्रिज और आक्सफोर्ड के उत्पाद मनमोहन जी और चिदम्बरम के अर्थषास्त्र पर चलकर रसातल में जा रहा है । Courtesy  By :- डॉ सुनील कुमार, वरिष्ठ संवाददाता, राष्ट्रीय सहारा, सीवान
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