शनिवार, नवंबर 09, 2013

रिटायर होना अंत नहीं, शुरुआत है...

























संसार में  लोग प्यार के भूखे और स्नेह के प्यासे है. संसार में धनी बहुत है और  वे उनसे सब कुछ खरीद सकते है पर वे प्यार नहीं. प्रेम ही सबसे ऊँची वस्तु है. प्रेम एक ऐसा रसायन या पौस्टिक टॉनिक है जिससे मनुष्य की आयु बढ़ती है. भय, ईर्ष्या, जलन, कुढ़न, और विरोध से आयु घटती है. जब मनुष्य को अपने कर्त्तव्य का ज्ञान हो जाता है तो उसके अंतःकरण की शक्तियों पर से पर्दा हट जाता है, रिटायर मेंट के बाद लोग कहते है कि आराम कीजिये खाईये, पीजिये और सोईये. डॉ बर्क के अनुसार जल्दी मरने का आसान तरीका है रिटायर हो जाना और कुछ न करना. हर इंसान को जिन्दा रहने के लिए जीवन में रूचि लेनी चाहिए. हममें से हर एक के पास विकल्प है रिटायर मेंट हमारे लिए शुरुवात भी हो सकता है और अंत भी. जो लोग रिटायरमेंट को सक्रिय जीवन का अंत मानते है उनमे से ज्यादातर लोगो के जीवन का अंत भी इसके तत्काल बाद हो जाता है क्योंकि अब जीवन का कोई भी लक्ष्य नहीं बचा है जीने का कोई कारण नहीं बचा है. इसलिए जिंदगी ख़त्म हो जाती है. दूसरी तरफ रिटायर  होने का बुद्धिमतापूर्ण रवैया है कि अब नए सिरे से शुरुवात करूँगा. लक्ष्य किसी व्यक्ति को जिन्दा रख सकता है. चाहे उसका शारीरिक स्थिति कैसी भी हो किसी भी क्षण लक्ष्य विहीन न रखे. हमेशा एक लक्ष्य बना कर रखे उसे पाने के लिए दिल से जुट जाये लक्ष्य का होना ही आपमें ऊर्जा का संचार करेगा यही आपके जीवन का मायने देगा.  
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