बुधवार, जून 06, 2012

मुक्ति का अर्थ...............


















मुक्ति का अर्थ होगा बन्धनों से छूटना । विचार करना है कि कौन से बन्धन हैं जिनसे हम बॅंधे हैं, शरीर को रस्सों से तो किसी ने  जकड़ नहीं रखा है फिर मुक्ति किससे ? 
मुक्ति वस्तुत: अपने दोष-दुर्गुणों से, स्वार्थ-संकीर्णता से, क्रोध-अंहकार से, लोभ-मोह से, पाप-अविवेक से प्राप्त करनी चाहिए । यह अंतरंग की दुर्बलता ही सबसे बड़ा बन्धन है ।

स्वर्ग और मुक्ति अपने दृष्टिकोण को परिष्कृत करके हम इसी जीवन में प्राप्त कर सकते हैं, इसके लिए मृत्यु काल तक की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं ।