शनिवार, जनवरी 28, 2012

ब्लडप्रेशर को जड़ से मिटाने के लिए.......




















अधिकांशत: बीमारियों के उपचार के लिए लोग नियमित रूप से दवाईयों का सेवन करते हैं। लेकिन ब्लडप्रेशर और तनाव दोनों ही ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें दवाईयों से जड़ से मिटाना थोड़ा मुश्किल है। कहते हैं जिन रोगों को सिर्फ औषधीयों से नहीं मिटा जा सकता है उनका उपचार योग व ध्यान से संभव है। इसीलिए कान्स्टीपेशन, तनाव या हाई ब्लडप्रेशर को जड़ से मिटाने के लिए सिर्फ रोज दस मिनट के लिए नीचे लिखी विधि से ध्यान करें।

ध्यान विधि- शरीर को ढीला छोड़ दीजिए, ध्यान रहे कमर झुकनी नहीं चाहिए।

- बंद आंखों से अपना पूरा ध्यान मूलाधार क्षेत्र में ले आइए।

- पूरा ध्यान बंद आंखों से वहीं एक जगह पर केन्द्रित करिए, गुदा द्वार   को ढीला छोड़ दीजिए।

- लिंगमूल को ढीला छोड़ दीजिए।

- इससे सांस की गति अचनाक गहरी और तीव्र हो जाएगी।

- अपने सांस पर ध्यान दीजिए।

- अब अपना पूरा ध्यान नासिका पर ले आइए।

- इसके बाद अपनी सांस को गौर से देखिए।

- कम से कम 30 सांस तक आप इसी अवस्था में रहें।

- अब देखिए ध्यान में जाने से पहले और अब में कितना फर्क पड़ा है।

शुक्रवार, जनवरी 27, 2012

पूज्य पिताजी, आपके ताने हमें सोने नहीं देते..

















पूज्य पिताजी, आपके ताने हमें सोने नहीं देते, नौकरी मिलने दीजिये,मै इस देश 
को लूट डालूँगा और आपका पूरा पैसा १०० गुना वापस करूँगा.... 
दोस्तों, एक बाप क्या चाहता है, की उसका बेटा भी अच्छी शिक्षा लेकर एक नैतिक नागरिक बन जाये, परन्तु देश के लुटेरो ने भारतीय शिक्षा के मायने ही बदल दिए है और इसका व्यवसायीकरण कर दिया है, जानिए--- 
१-उ.प्र में आजकल जितने स्कुल और कालेज खुल रहे है सब का मालिक यातो विधायक है, या संसद है या मंत्री है, 
२-शिक्षा के  बदले एक मोटी रकम की फीस ली जाती है, 
३-माँ-बाप जितनी बार फीस देते है उतनी बार अपनी संतान को कोसते है की अभी कितने दिन और पढ़ेगा. 
४-बार बार ताने सुनकर संतान यही सोचते है की जल्दी से नौकरी मिल जाये और इस देश को लूट डाले. 
५-आज की शिक्षा में तो वैसे ही नैतिक शिक्षा हटा दी गयी है दोष  चाहे जिसका हो, 
सरकारे तो स्कुल खोलने से जानबूझ कर बच रही है जिससे की मंत्री जी को मौका मिले 
स्कुल खोलने का, और अपने बेटो के लिए एक स्थायी आय को श्रोत पैदा कर दे रहे है, 
ये अनपढ़ संताने स्कुल का प्रबंधक बनकर शिक्षा का बंटाधार  कर रहे  है, 
यदि पढाई के समय से ही छात्रो में धन कमाने की कुंठा घर कर जाए तो इस देश के लिए कौन पढ़ेगा और किसके पास ईमानदारी बचेगी, यह देश तो अंग्रेजो की साजिस का पूरी तरह शिकार होकर रह गया है, क्या होना चाहिए- 
१-सभी शिक्षा मात्री  भाषा और राष्ट्र भाषा में दी जाये, 
२-शिक्षा निशुल्क होना चाहिए,शिक्षण सामग्री सस्ती होने चाहिए, हर साल किताबे न बदली जाये, 
३-शिक्षा में नैतिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, हमारे पूर्वजो के बारे में बताया जाये न की विदेशी लुटेरो के बारे में. 
४-शिक्षा और शिक्षक तथा पूरे संसथान  का पूरा खर्च सरकार उठाये, 
५-शिक्षा में राष्ट्रीय विषय और शामिल किये जाये और छात्रो को वास्तविक इतिहास पढाया जाये, 
६-तब यदि बेटा किसी राष्ट्र सेवा के चुना जाये तो माँ-बाप को गम नहीं होगा क्योंकि खर्चा राष्ट्र दे रहा है. छात्रों में इमानदारी  आयेगी और राष्ट्र महान बनेगा. 
७-यह सत्य है की देश में पैसे की कमी बिलकुल नहीं है, देश का ४००लाख करोड़ रुपये विदेशी बैंको वैसे ही पड़े है. 
८-सारी समस्या का सिर्फ एक ही जड़ है- भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार नेआदमी को भ्रष्टाचारी होने  के लिए मजबूर कर दिया है, अनचाहे मन से घुस देनी पड़ती है. 
९- ध्यान से सोचिये-नक्सली समस्या की जड़ में क्या है, आज़ादी के बाद गरीबो को और गरीबी मिली और सक्षम लोगो ने देश को लूट डाला, एक गरीब को आत्मघाती और नक्सली  बनने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती है, जब की धनी आदमी पैसो को आराम से भोगने के लिए गुंडों को हफ्ता भी देता रहता है,                                                                                         
१०-शिक्षा के खर्च ने लोंगो को तबाह कर दिया है और लोग अपने बच्चो को अब 
इमानदार रहने की शिक्षा देना भूल जा रहे है.

शुक्रवार, जनवरी 20, 2012

दिखावे पर मत जाओ अपनी अकल लगाओ......













चीनी, कैँडी और च्युइँगगम का प्रयोग बंद करो और यदि मीठा खाना ही है तो गुड़ खाओ!
जानिए चीनी का प्रयोग कैसे हानिकारक है और गुड़ किस प्रकार लाभदायक है!
1- चीनी मिलें हमेशा घाटे में रहती हैं। चीनी बनाना एक मँहगी प्रक्रिया है और हजारों करोड़ की सब्सिडी और चीनी के ऊँचे दामों के बावजूद किसानों को छह छह महीनों तक उनके उत्पादन का मूल्य नहीं मिलता है!
2-चीनी के उत्पादन से रोजगार कम होता है वहीं गुड़ के उत्पादन से भारत के तीन लाख से कहीं अधिक गाँवों में करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है।
3- चीनी के प्रयोग से डायबिटीज, हाइपोग्लाइसेमिया जैसे घातक रोग होते हैं!
4-चीनी चूँकि कार्बोहाइड्रेट होता है इसलिए यह सीधे रक्त में मिलकर उच्च रक्तचाप जैसी अनेक बीमारियों को जन्म देता है जिससे हर्ट अटेक का खतरा बढ़ जाता है!
5-चीनी का प्रयोग आपको मानसिक रूप से भी बीमार बनाता है। यहाँ पढ़ें www.macrobiotics.co.uk/sugar.htm
 

6-गुड़ में फाइबर और अन्य पौष्टिक तत्व बहुत अधिक होते हैं जो शरीर के बहुत ही लाभदायक है!
7-गुड़ में लौह तत्व और अन्य खनिज तत्व भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं!
8- गुड़ भोजन के पाचन में अति सहायक है। खाने के बाद कम से कम बीस ग्राम गुड़ अवश्य खाएँ। आपको कभी बीमारी नहीं होगी!
9-च्युइँगगम और कैँडी खाने से दाँत खराब होते हैं!
10-गुड़ के निर्माण की प्रक्रिया आसान है और सस्ती है जिससे देश को हजारों करोड़ रुपए का लाभ होगा और किसान सशक्त बनेगा!
जय हिंद! जय भारतवर्ष!! 

गुरुवार, जनवरी 19, 2012

अहंता का नियंत्रण..........

 
अहंकार के कारण भी अपनी मानसिक शक्तियाँ 
बर्बाद होती रहती हैं। अपने बारे में औरों की राय 
जानने की इच्छा, चर्चित होने की आकांक्षा, दूसरों 
से प्रशंसा सुनने और करवाने की अपेक्षा आदि कितने 
ही रूपों में अहंता व्यक्ति के मन मस्तिष्क में उठती-उमगती 
रहती है। इस तरह की इच्छा और अपेक्षा के मूल में अहंता ही
मूल कारण है।

दूसरों से प्रशंसा सुनने या उनकी राय जानने का 
एक ही उद्देश्य है अपने को महत्वपूर्ण अनुभव करना।
अपने को महत्वपूर्ण अनुभव करने या व्यक्त करने के 
लिए मनुष्य का मस्तिष्क ऐसी उधेड़बुन में उलझ जाता है
कि फिर वह अपनी सारी विचार-शक्ति को उसी ताने-बाने में 
उलझा देता है। महत्वकांक्षा कोई बुरी बात नहीं है पर जब वह
अहंकार का पोषण करने के लिए ही की जाती हो तो मस्तिष्क
फिर उसी दिशा में सोचने के लिए व्यस्त हो जाता है। उस दशा 
में रचनात्मक चिंतन की दिशा ही नहीं सूझती।
 
हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें. हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जायेगा..........